भारत में हींग (Asafoetida) की खेती (Cultivation)

भारत में हींग (Asafoetida) की खेती (Cultivation)
भारत के अधिकांश हिस्सों में हींग (asafoetida) की खेती की जाती है। इसके लिए 300 मिमी से कम बारिश, अच्छी जल निकासी वाली रेतीली मिट्टी की आवश्यकता होती है, और यह -4 से 40 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान सहन कर सकती है। हींग की खेती ज्यादातर हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के उच्च-ऊंचाई वाले क्षेत्रों में की जाती है। भारत हींग का दुनिया का सबसे बड़ा उपभोक्ता है; यह पाचन संबंधी समस्याओं, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, आदि में मदद करती है।
अंग्रेजी में हींग (Heeng in English) - Asafoetida
पौधे के बारे में (About the Plant)
परिवार (Family): अम्बेलिफेरा (Umbelliferae); प्रकार (Type): बारहमासी शाकाहारी पौधा (Perennial herbaceous plant)।
पौधे लगाने के 5 साल बाद जड़ों से ओलियो-गम रेजिन (oleo-gum resin) निकलता है।
जलवायु (Climate): ठंडी, शुष्क (Cold, arid); वार्षिक वर्षा ≤ 200 मिमी (300 मिमी तक सहन करता है); रेतीली, अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी (sandy, well-drained soil); तापमान 10–20°C (-4°C से 40°C तक सहन करता है)।
सुषुप्तावस्था (Dormancy): अत्यधिक ठंड और शुष्क मौसम में।
भारत में उपयुक्तता (Suitability in India)
उच्च-ऊंचाई वाले अर्ध-शुष्क क्षेत्र जैसे लाहौल-स्पीति (हिमाचल प्रदेश) और उत्तरकाशी (उत्तराखंड)।
महत्व (Significance)
भारतीय व्यंजनों में व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला मसाला।
औषधीय उपयोग (Medicinal uses): पाचन में राहत, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, मासिक धर्म संबंधी विकार, समय से पहले प्रसव।
वर्तमान परिदृश्य (Current Scenario)
भारत: दुनिया का सबसे बड़ा उपभोक्ता, कोई घरेलू उत्पादन नहीं; अफगानिस्तान, ईरान और उजबेकिस्तान से आयात करता है।
सरकारी पहल (Govt Initiative)
शुरुआत: CSIR–इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोसोर्स टेक्नोलॉजी (IHBT), पालमपुर द्वारा।
बीज का स्रोत (Seed Source): शुरू में ईरान, बाद में अफगानिस्तान (ICAR–NBPGR आयात परमिट के माध्यम से)।
पालमपुर और रिबलिंग (लाहौल-स्पीति) में परीक्षण।
IHBT पालमपुर में हींग जर्मप्लाज्म रिसोर्स सेंटर (Heeng Germplasm Resource Centre) की स्थापना (5 मार्च, 2022) — संरक्षण, अनुसंधान, प्रशिक्षण और बीज उत्पादन के लिए एक केंद्र (hub)।
शुरुआती अपनाने वाले गाँव (Early Adopter Villages)
HP: लाहौल-स्पीति (मदग्राम, सालग्राम, बीलिंग, केलांग), मंडी (जंजेहली, माझखाल), किन्नौर, कुल्लू और चंबा।