लिम्फैटिक फाइलेरिया (Lymphatic Filariasis) के बारे में सब कुछ जानें

यह आमतौर पर हाथीपांव (elephantiasis) के रूप में जाना जाता है, यह एक गंभीर दुर्बल करने वाला रोग (debilitating disease) है जो फाइलेरियल वर्म्स (filarial worms) नामक परजीवी कृमि (parasitic worms) के कारण होता है। यह क्यूलेक्स मच्छर (Culex mosquito) के काटने से फैलता है जो गंदे/प्रदूषित पानी में पनपता है।
संक्रमण आमतौर पर बचपन में होता है, जो लसीका प्रणाली (lymphatic system) को छिपा हुआ नुकसान पहुँचाता है। इसके दिखाई देने वाले लक्षण (लिम्फोएडेमा, हाथीपांव, और अंडकोष में सूजन/हाइड्रोसील) जीवन में बाद में दिखाई देते हैं और स्थायी विकलांगता (permanent disability) का कारण बन सकते हैं।
यह एक प्राथमिकता वाला रोग है जिसे 2027 तक समाप्त करने का लक्ष्य रखा गया है। भारत में, 90% लिम्फैटिक फाइलेरिया का बोझ 8 राज्यों से आता है – बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, और पश्चिम बंगाल। वर्तमान में इसके लिए कोई टीकाकरण (vaccination) उपलब्ध नहीं है।