श्वेतांबर (Shvetambara) और दिगंबर (Digambara) के बीच एक समझदारी भरा अंतर

श्वेतांबर (Shvetambara) और दिगंबर (Digambara) के बीच एक समझदारी भरा अंतर

जैन धर्म के दो प्रमुख पंथों, श्वेतांबर और दिगंबर की मान्यताओं और परंपराओं में कई महत्वपूर्ण अंतर हैं। आइए, इन्हें विस्तार से समझते हैं:

श्वेतांबर पंथ (Shvetambara School)

यह पंथ मुख्य रूप से पार्श्वनाथ (Parshvanatha) की शिक्षाओं का पालन करता है। इसकी मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  • महिलाएं तीर्थंकर बन सकती हैं: इस पंथ के अनुयायी मानते हैं कि महिलाएं भी मोक्ष (Moksha) प्राप्त कर सकती हैं और तीर्थंकर (Tirthankaras) बन सकती हैं। 19वें तीर्थंकर, मल्लीनाथ, को एक महिला तीर्थंकर के रूप में माना जाता है।
  • सफेद वस्त्र धारण करते हैं: श्वेतांबर भिक्षु और भिक्षुणियां सफेद रंग के वस्त्र पहनते हैं, जो सादगी और अहिंसा का प्रतीक है।
  • पवित्र ग्रंथ (Sacred Texts): यह पंथ अंग (Angas) नामक पवित्र ग्रंथों को स्वीकार करता है।
दिगंबर के साथ तुलना (Comparison with Digambara)

दोनों पंथों के बीच के प्रमुख अंतर इस प्रकार हैं:

  • वस्त्र (Clothing): - दिगंबर: 'दिगंबर' का अर्थ है 'दिशाओं को ही वस्त्र के रूप में धारण करने वाला', यानी नग्न (sky-clad/nude)। दिगंबर भिक्षु वस्त्र धारण नहीं करते हैं। - श्वेतांबर: सफेद वस्त्र धारण करते हैं।
  • महिलाओं की मुक्ति (Women’s Liberation): - दिगंबर: उनका मानना है कि महिलाएं मोक्ष प्राप्त नहीं कर सकतीं, क्योंकि वे नग्नता धारण नहीं कर सकतीं, जो मोक्ष के लिए आवश्यक है। - श्वेतांबर: उनका मानना है कि महिलाएं भी मोक्ष प्राप्त कर सकती हैं।
  • भोजन संग्रह (Food Collection): - दिगंबर: दिगंबर भिक्षु केवल एक घर से भोजन लेते हैं। - श्वेतांबर: श्वेतांबर भिक्षु कई घरों से भिक्षा एकत्र कर सकते हैं।
  • मूर्ति पूजा (Idol Worship): - दिगंबर: उनकी मूर्तियों में कोई अलंकरण (unadorned) नहीं होता है। - श्वेतांबर: उनकी मूर्तियों को वस्त्र और आभूषणों से सजाया जाता है।
  • प्रतिपादक (Exponent): - दिगंबर: भद्रबाहु - श्वेतांबर: स्थूलभद्र (Sthulabhadra)